बात कुछ मत करो अब, यहां कोई नाराज़ है।
शायद यह कोई नई सिलसिले की आगाज़ है।
झूटी तसल्ली से इसे खामोश नहीं कर पाओगे
यह रूठी हुई इक दुखी आत्मा की आवाज़ है।
तेरी आँखें कहती हैं तुम ग़ुस्से में अब भी डूबी हो
पर नज़रें कहटी हैं यह समझौते का अंदाज़ है।
अपने प्यारे होटों से जी भरके कोस लो, सनम
लगता है हर लफ्ज़ गाली नहीं, इश्क़ का दर्ख्वाज़ है।
आज तेरी पलकों में ज़्यादा सा फटफटाहट है
वह उड़ना नहीं है , मेरा नाम का रियाज़ है।
शायद यह कोई नई सिलसिले की आगाज़ है।
झूटी तसल्ली से इसे खामोश नहीं कर पाओगे
यह रूठी हुई इक दुखी आत्मा की आवाज़ है।
तेरी आँखें कहती हैं तुम ग़ुस्से में अब भी डूबी हो
पर नज़रें कहटी हैं यह समझौते का अंदाज़ है।
अपने प्यारे होटों से जी भरके कोस लो, सनम
लगता है हर लफ्ज़ गाली नहीं, इश्क़ का दर्ख्वाज़ है।
आज तेरी पलकों में ज़्यादा सा फटफटाहट है
वह उड़ना नहीं है , मेरा नाम का रियाज़ है।