बस आँखों से इशारा कर दो, साया बनके साथ आ जाऊंगा।
जो मन मांगे बोलो, चाँद को भी हाथ में ला दूंगा।
तुमसे मिलने के बाद लफ़्ज़ों का लिफ़ाफ़ा बंद हो गया है,
अब पैग़ाम-ए-दिल फ़क़त धड़कनों से सुना दूंगा ।
उम्मीदें सैक़डों आँखों में ही सजाते आया हूँ - आओ,
तुम्हें दिल की गहराईयों में बिठाकर खूब सजा दूंगा ।
आजकल दुआ मांगने का ठीक तरीक़ा भी भूल गया हूँ,
रूठ जाएंगे खुदा भी मुझसे , हर दुआ में तुम्ही को मांगूंगा।
अफ़सोस है की मेरा तक़दीर मेरे साथ नहीं, वर्ना
तुम्हें ज़िंदगी-भर के लिए अपना बना दूंगा !
अब अरमानों का धागा काफी लंबा हो गया है,
अब उससे हम दोनों की एक अलग दुनिया बुना लूंगा!