कोशिश करता रहा हर रोज़, उस अम्बर तक पहुँचने की।
पर मेरी पंखुरियों में इतना ही ताक़त है पेड़ के ऊपर पहुँचने की।
उड़ते उड़ते न जाने उस गगन तक चला जाऊँगा ज़रूरर
जहां कोई गुंजाइश नहीं , किसी का खबर पहुँचने की।
Musings of a man who is constantly trying to give new perspectives to things we all seemingly know already.
कोशिश करता रहा हर रोज़, उस अम्बर तक पहुँचने की।
पर मेरी पंखुरियों में इतना ही ताक़त है पेड़ के ऊपर पहुँचने की।
उड़ते उड़ते न जाने उस गगन तक चला जाऊँगा ज़रूरर
जहां कोई गुंजाइश नहीं , किसी का खबर पहुँचने की।
நரசிம்மா, வரு, பரம பிதா! சுத்த சிந்தை சிறப்பு நிதா! இசைதருமோ, உனது கடைசின் போதா? இருள் பொலிக்கும் எங்கள் விருட்ச நீயே! அறிவொளி ஈசனே, ஆதிபுரு...