आपकी इंतज़ार में सेज को सजाते रहे।
हर रात उम्मीद के दिये जलाते रहे।
उस अनजान फरिश्ता तो आप हो
जिसके नाम लेकर हर ईद मनाते रहे।
साक़ी ने उन लम्हों को मिठा न सका
मेरे रात के जो हमसफ़र बनके चलाते रहे।
मेहँदी की खुशबू बेमिसाल है, यह पता ही था
फिर भी गुंचा को नाक में लगाते रहे।
जीना मुश्क़िल हुआ, पर मरना नामुमकिन
ग़म का सहारा लेकर ग़म को भुझाते रहे।
हर रात उम्मीद के दिये जलाते रहे।
उस अनजान फरिश्ता तो आप हो
जिसके नाम लेकर हर ईद मनाते रहे।
साक़ी ने उन लम्हों को मिठा न सका
मेरे रात के जो हमसफ़र बनके चलाते रहे।
मेहँदी की खुशबू बेमिसाल है, यह पता ही था
फिर भी गुंचा को नाक में लगाते रहे।
जीना मुश्क़िल हुआ, पर मरना नामुमकिन
ग़म का सहारा लेकर ग़म को भुझाते रहे।
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