बचपन की हरकतें बहुत थे, घुट्टी में
सारी दुनियाँ गिरा, दोस्त की कट्टी में।
लेकिन उसीसे फिर एक ही मुस्कान,
बस दुनिया वापस अपनी मुट्ठी में।
रिश्ते बनना और बिगड़ना दुनिया की रीत है
यारों ने खूब सीखा दिया, छुट्टी में।
वह लापर्वाही लम्हें लहराते हैं, राशिद
तफली की सारी खुशियां जुटठी में।
सारी दुनियाँ गिरा, दोस्त की कट्टी में।
लेकिन उसीसे फिर एक ही मुस्कान,
बस दुनिया वापस अपनी मुट्ठी में।
रिश्ते बनना और बिगड़ना दुनिया की रीत है
यारों ने खूब सीखा दिया, छुट्टी में।
वह लापर्वाही लम्हें लहराते हैं, राशिद
तफली की सारी खुशियां जुटठी में।
No comments:
Post a Comment