Friday, July 17, 2020

चिंगारी में जलने के लिए

पता था लोग मिलते हैं, बिछड़ने के लिए।
दिल फिर क्यूँ तरसता है, मिलने के लिए।

फूल जानते हैं चंद दिनों में ही मुरझा जाएंगे,
फिर भी सूरज की राह देखते हैं, खिलने के लिए।

उल्फत का भण्डार है मेरा दिल, फिर भी 
तैयार है ज़िन्दगी, मेरा प्यार को तुलने के लिए।

पत्थर-ओ-इश्क़ से टकरा चुका हूँ कई बार, यारों  
अब सीखना नहीं, गिरकर फिर संभलने के लिए।

बार बार हारने के बावजूद मेरा प्यार जारी रहेगा -

परवाने पैदल होते हैं, चिंगारी में जलने के लिए।

इन बे-नमी आँखों को चार बूँद अश्क़ उधार चाहिए 
शौख़ है अब भी, इश्क़ के नाम बहलाने के लिए।

 




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