मेरे ख़यालों में वह अक्सर आती है।
जाने इतनी ख़ुशियाँ कहाँ से लाती है।
नींद में मेरी पलकों में ढलती है , पर
आखें खोलते ही वह भाग जाती है।
इस दिल में रौनक़ अब क़ायम है
हमेशा उम्मीद के दिये जो जलाती है।
जब भी ज़िक्र होती है सुकून का
तेरी बाहों की तलब लग जाती है।
तलब लगना - craving
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