Saturday, April 12, 2025

Hanuman- a Classical poem

 आकाश बिच चमक्यो रवि, फल सम मोह भयो।

लघु तनु ले उडि चला अम्बर, बालक भूख लयो॥

गगन मार्ग जब बढ़्यो अधिक, देवलोक डोल गयो।
इन्द्र बज्र चलाय ज्यों, बाल हनू धरातल गयो॥१॥

हनुमत गिर्यो भूमिपर, वायुदेव क्रुद्ध भए।
जीवजगत सब व्याकुल, प्राणवायु च्युत भए॥
संकट देख सकल सुरवर, प्रेमसिन्धु उमड़ गयो।
आशीष देय अमोल वर, तेज अनंत भर गयो॥२॥

ब्रह्मा दीन्ही शस्त्र रक्षा, शिव दीन्ह अजरता।
इन्द्र कह्यो "न मारे बज्र", दिये वर अपारता॥
वरदानों से दीप्त भयो, नाना शक्ति निहित गयो।
बाल-हनू जागे पुनि, सुरलोक हर्षित भयो॥३॥

लघु ह्रदय त्यागि, बृहत् भक्ति-मार्ग की ओर चला।
रघुनायक संग करि सेवक, जग में कीर्ति भला॥
बाल्य लीला यह विमल कथा, श्रद्धा से गाई जयो।
जय जय श्री हनुमंत वीर, सकल लोक में सुख भयो॥४॥

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