Thursday, May 23, 2019

जी भर के देखने दो

जी भर के देखने दो
वतन की नयी दिशा

जिसके सूत्र मोदी है
और सूत्रदारी अमित शाह   

Sunday, May 19, 2019

कोई लाइबा नहीं


हाल-ए-दिल कैसे सुनाऊँ
इश्क़ की कोई तजुर्बा नहीं

निगाहें मिली, बस, बिजली चली
जहां कोई तार-ए-ताम्बा नहीं

यह हमारी प्यार की इमारत है
ठूठे ख़्वाबों की मलबा नहीं

प्यार किया तो  अब डरना क्या
हाथ थामने में झिजक तौबा नहीं

नोचना मुझे फिर एक बार
यक़ीन नहीं है तुम कोई लाइबा नहीं


ख़ुराफ़ात बच्ची

में ख़्वाब में बार बार खैरियत पूछी थी
नहीं लगा कि मेरी हैसियत सोची थी
दिल ने कहा, प्यार की रिवायत सच्ची थी
पर हक़ीक़त में वह ख़ुराफ़ात बच्ची थी 

How can India aspire to be a thought-leader?

Two seemly disjointed happenings triggered this article today.  One – I was walking down an old alley here in Singapore, where a signage in ...