Friday, July 23, 2021

ख्वाब की ताबीर में

पहचान लो फ़र्क़ , ग़रीब और अमीर में। 

वही झेलते हैं, जो लिखा है तक़दीर में। 


मक़ाम-ए-सफल कैसे पायेगा बेचारा, जब 

पैर बांधे हुए हैं हालात के ज़ंजीर में।


खराब कमान-ए-तक़दीर से मक़्सत फिसलता है 

कोई गुनाह नहीं , राशिद, मेहनत की तीर में।  


इस दिल ग़मों की काँटों से बहुत फट चुकी है 

लागे रहो ज़िन्दगी भर, उस रफू की तदबीर में। 


ख्वाब-ए-तरक़्क़ी देखो दिन-ओ-रात, और 

बस, खुश रहो, उसी ख्वाब की ताबीर में।

Sunday, July 11, 2021

बढ़ा देती है

एक अनोखा मायूसी दिल पर चढ़ा देती है।  

यार की पुरानी यादें ग़म को बढ़ा देती है।


मेरी पल्कें मुश्किल से जोड़ने पर लगते ही 

बस उसकी मुस्कान नींद को उड़ा देती है। 


उसकी यादें दिल में बार बार सुलगती हैं - कुछ 

अनमोल लम्हें बुझते शोलों को हवा देती है।


कुछ कश्मकश बातें दिल में बरक़रार हैं 

दिल जो उन्हींको  बार बार चबा देती है। 

  

Thursday, July 8, 2021

खुशबू स्तोत्र माला


जनानां उन्मत्तं कृतं जन सम्मोहित कारणानां 

मनोरन्जितं मदालसां तं नमामि खुशबू देवीम् ! 

सुलालित यौवनारंभां सुशोभित स्वरूपानां 

मनः क्लेशे निवथ्यन्तं तं नमामि खुशबू देवीम् ! 

सिंहासन प्रियानानाम् बहु घोष्टि: प्रवेशिताम् 

न हि बन्धु: कुत्रापि तं नमामि खुशबू देवीम् !

सुन्दराय वक्षोर गृहाणां सुर पूजीत भूषणां 

मुनैरापि ईक्षितानाम् तं नमामि खुशबू देवीम् !



 


How can India aspire to be a thought-leader?

Two seemly disjointed happenings triggered this article today.  One – I was walking down an old alley here in Singapore, where a signage in ...