Saturday, June 27, 2020

Nostalgia


Nostalgia floods my senses, often, these days,
A gush of emotions happens in many ways.

The rich often break into nostalgia to boast
The poor merely have history, to raise a toast.

Am I rich, or am I poor, is the question in my mind
As I let the ticking time clock unwind, and wind.

But, even as I engage in this everyday banter
I realize, soon enough, it really does not matter.

Rich or poor, past or or present, rarely affect me
As long as I allow myself, to simply let me be.




Friday, June 26, 2020

अख़लाक़ नहीं

यह नसीब की बात है, कोई इत्तेफाक़ नहीं।
दिल की पुकार है सनम, कुछ मज़ाक नहीं।

मेरी ऐतमाद शक्सियत से मत हिचकिचाना
सामने सच्चा आशिक़ खड़ा है, गुस्ताख़ नहीं।

तेरे सामने से ही तेरा दिल चुरा ले गया था 
चुप चुप के करूँ, इतना भी चालाक नहीं।

जब भी प्यार से शक़-ओ-शुबह लगता है 
मेरे हाथ थाम लो, इतना भी खतरनाक नहीं।

रस्म-ए-दुनियाँ को थोड़ो, मेरी बाहों में आओ 
प्यार से हटना कायरता है, अख़लाक़ नहीं।

बन गये

नज़रों से नज़रें मिले, और बातें बन गये।
यूँ गुफ्तगू करते गये, और रातें बन गये।

आजकल फासलों से शिकायत नहीं 
दूरियां जो बदलकर मुहब्बतें बन गये।

इश्क़ में भीगे हुए यह लम्हें गवाह हैं 
दिल की आहटें भी मिन्नतें बन गये।

दर्द-ए-जुदाई और सहन नहीं होता, सनम 
हर रात की मिलान भी ज़रूरतें बन गये।

कभी न रुकी , आपस में यह हलचल
देखते देखते सांसें भी हसरतें बन गये।

Dilip



   

Saturday, June 20, 2020

दोस्ताना

तेरी ज़िन्दगी में ख़ुशी बरक़रार रहे , हमेशा।
फ़रिश्ते दुआ कि दो चार लव्ज़ कहे, हमेशा।

तेरा दरिया-ए-ज़िन्दगी में चाहे कितने भी भंवर हो 
तेरी अम्मी के आँखों से आंसू-ए-ख़ुशी बहे, हमेशा।

चाहे जितने भी ख़तरे भी हो, ज़िन्दगी के राही
हर बला से ख़ुदा तेरा मेहफ़ूज़ रखे, हमेशा।

वक़्त की पाबंदी नहीं इस रिश्ते में, राशिद
हमारा दोस्ताना यूँ ही जारी रहे, हमेशा।






Friday, June 19, 2020

तुम ही ऐतबार हो


मेरी अंधी दुनियाँ में तुम ही ऐतबार हो।
इस वीरान दिल में तुम ही मेरी प्यार हो।

तेरी अंगड़ाइयों से इस दिल घायल बहुत है
मासूम दिलों के लिए तुम खतरनाक हथियार हो।
  
तेरी सन्नाटा कह रही है ,मुझसे तुम ख़फ़ा हो
पर निगाहें कह रही हैं की तुम मेरी दरकार हो।

तुम्हारी यादों की रोज़ा भी आजकल मीठा है
मेरी भूकी आखों के लिए तुम इफ़्तार हो।

 तेरी यादों से बचने जल्दी सो गया था, पर
सुबह पता चला, ख़्वाबों  के आरपार हो।

Dilip


Friday, June 12, 2020

உள்ளன

உன் வாய் எனை நிந்தித்தாலும்
கண்களில் காதை பல உள்ளன. 

என் வரிகளின் அங்க அடையாளம்
இன்றும் உன் மூச்சில் உள்ளன.

என்றோ என்னை நீ நிராகரித்த
நிமிடங்கள் நினைவில் உள்ளன.

இன்றும் உன் மாளிகை வாசலில்
என் காலடித் தடங்கள் உள்ளன.

பூட்டிய கோவில் மதில் சுவற்றில்
செதுக்கிய நம் பெயர்கள் உள்ளன.

வாட்டியது போதும், திரும்பி வா
எஞ்சிய நாட்கள் சிலவே உள்ளன.

Dilip








Monday, June 1, 2020

ग़ज़ल बन जाता है

अक़्सर इंसान अपनी ही ख़ुशी में पागल बन जाता है।
आशिक़ बनकर किसीके पैर में पायल बन जाता है।

सूरज की किरणें चाहे कितना भी ढ़ले शहर पर, जब
मेहबूबा गली में गुज़रती है, वह बादल बन जाता है।

कच्ची उम्र हो, शायद तजुर्बा काम हो बन्दे को,
पर बहुत जल्दी प्यार करने में अव्वल बन जाता है।

मन बहुत करता है प्यार का इज़हार करने को
पर उसको देखते ही इसका चेहरा धवल बन जाता है।

महफ़िल-ए-इश्क़ में इंतज़ार का फल ज़रूर मीठा है 
सनम का हर लफ़्ज़ लफ़्ज़ नहीं, ग़ज़ल बन जाता है। 







How can India aspire to be a thought-leader?

Two seemly disjointed happenings triggered this article today.  One – I was walking down an old alley here in Singapore, where a signage in ...