Monday, February 1, 2021

हैसियत पूछते हैं

शुरू शुरू में नुक्कड़ में लोग मेरी ख़ैरियत पूछते हैं।

जब यारों से मिलता हूँ, तो मेरी क़ैफ़ियत पूछते हैं। 

वक़्त इंसान को  बदल ही देता है, राशिद - 

आजकल वही लोग सिर्फ मेरी हैसियत पूछते हैं।


मेरी कमाई हुयी इज़्ज़त का क़दर कोई नहीं करता 

बस, मेरी तिजोरी की ही असलीयत पूछते हैं।


उनके पास आलीशान मकानें हैं -फिर भी  

बार बार ताज महल की खासियत पूछते हैं।


हर रोज़ आईने के सामने खड़ा रहकर 

न जाने क्यूँ अपनी ही शख्सियत पूछते हैं।


ज़माना मतलबी हो गया है - यहां तक कि 

उधर भगवन राम का भी वसीयत  पूछते हैं।

 

बेख़ुदी का ज़माना

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