जीवन का सफ़र की परेशानी मत पूछो
हर मोड़ पर दिल-ए-ज़ख़्म का नादानी मत पूछो।
इस दिल तीर-ए-आफ़त से गोलाह बारी है
हाल-ए-दिल इस मख़लूत बेगानी मत पूछो।
प्यार भी , अश्क़ भी बरसे, इन तरस्ती आँखों से
उल्फत से दिल में चल रही तूफानी मत पूछो।
गुलिस्तान-ए-दिल के फूल क़हत से मुरझा गये हैं
अब और इस ज़िंदा लाश की बेजानी मत पूछो।
हर मोड़ पर दिल-ए-ज़ख़्म का नादानी मत पूछो।
इस दिल तीर-ए-आफ़त से गोलाह बारी है
हाल-ए-दिल इस मख़लूत बेगानी मत पूछो।
प्यार भी , अश्क़ भी बरसे, इन तरस्ती आँखों से
उल्फत से दिल में चल रही तूफानी मत पूछो।
गुलिस्तान-ए-दिल के फूल क़हत से मुरझा गये हैं
अब और इस ज़िंदा लाश की बेजानी मत पूछो।
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