हसी का मज़ा महफ़िल
में ज़्यादा होता है
पर आसूं का क़तरा
तन्हाई ही चाहता है।
महफ़िल में रोते तो
ड्रामा का जूनून कहेंगे
और तन्हाई में हस्ते तो
ज़रूर मजनून कहेंगे।
में ज़्यादा होता है
पर आसूं का क़तरा
तन्हाई ही चाहता है।
महफ़िल में रोते तो
ड्रामा का जूनून कहेंगे
और तन्हाई में हस्ते तो
ज़रूर मजनून कहेंगे।
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