नींद की तक़्ती अब मुझे खिला दो
मदहोश के गहरे समंदर में डुबा दो।
ज़िन्दगी न जीने देता है, या फिर मरने
यार, तुम भी हस्ते हस्ते मुझे रुला दो।
अधूरे अरमानें बेचैन भटक रहे हैं
उनको अपनी आँचल में लेके सुला दो।
तेरी तलाश में तेरे ही अंदर मैं गायब हूँ
बस, दिल की गेहरों से मुझे बुला दो।
मदहोश के गहरे समंदर में डुबा दो।
ज़िन्दगी न जीने देता है, या फिर मरने
यार, तुम भी हस्ते हस्ते मुझे रुला दो।
अधूरे अरमानें बेचैन भटक रहे हैं
उनको अपनी आँचल में लेके सुला दो।
तेरी तलाश में तेरे ही अंदर मैं गायब हूँ
बस, दिल की गेहरों से मुझे बुला दो।
No comments:
Post a Comment