Saturday, January 4, 2020

मुक़म्मलों


अक़्सर मुक़म्मलों के कोई साथ नहीं है
मेहनत करनेवालों को दिन-रात नहीं है।

आलसी क्या जाने, सफ़लता कितना मीठा है
मंज़िल तक पहुँचने का उसकी औक़ात नहीं है।

क़िस्मत को जानने के लिए लखीरें मत देखो
तक़दीर उनका भी बनता है, जिनको हाथ नहीं है।

राह-ए-ख़ुदा पर चलता हूँ, कुछ फ़िक्र नहीं है
हौसला जो रखता है उकसी ऐतियात नहीं है।

घोड़े के इंतज़ार में वक़्त मत  गवाओ, अंजुम
कुछ ऐसे भी निक्काह हैं, जिनमे बारात नहीं है।


मुक़म्मलों  - Achievers
लखीरें - line streaks in one's hands, used in palmistry
राह-ए-ख़ुदा - the guidance/ path of God
ऐतियात . - Caution/ precaution

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