बाजा बजाना हो, उस्ताद बन्ना हो, तो रियाज़ की ज़रुरत है।
बाज़ार में बजाना है तो भी वही रियाज़ की ज़रुरत है।
यह मत सच बैठो कि पैसा इतना आसानी से बन जाएगा
मार्केट खोलने से पहले होमवर्क की रिवाज़ की ज़रुरत है।
Musings of a man who is constantly trying to give new perspectives to things we all seemingly know already.
நரசிம்மா, வரு, பரம பிதா! சுத்த சிந்தை சிறப்பு நிதா! இசைதருமோ, உனது கடைசின் போதா? இருள் பொலிக்கும் எங்கள் விருட்ச நீயே! அறிவொளி ஈசனே, ஆதிபுரு...
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