Thursday, June 3, 2021

दोस्ती

 

राह के हर मोड़ पर मंज़र नहीं है  ।

अक्सर सच्चे दिलों का नज़र नहीं है ।


जिसको जिगरी दोस्त मिल गया हो उसका 

कभी खेत-ए-ज़िन्दगी बंजर नहीं है ।


दोस्त जितना भी कड़वा सच बोलते जाए, 

लगता की उसके जुबान में खंजर नहीं है ।


तेरी जुदाई बहुत सताती है,  ऐ दोस्त, 

यह कम्बख्त दिल है, कोई पत्थर नहीं है।


सुबह आईने में खुद का खैरियत पूछ लेता हूँ,  

अब खैरियत पूछनेवालों का कुछ खबर नहीं है। 

 

यारों से बिछड़के चाहे कितना भी ठेस हो जाएं 

आजकल मेरे रंजिशों पर खुद को क़दर नहीं है। 


दोस्त से ख़ैर जुदा हूँ , पर दोस्ती से नहीं  

मेरी सासें गवाह हैं, दोस्ती कहीं बाहर नहीं है। 


     


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