वक़्त इज़हार-ए-इश्क़ के लिए रुकता नहीं।
उल्फत में आशिक़ कभी झुकता नहीं।
हम उसकी ख़ुशी के लिए चुप रहते आये,
पर उसको लगा हमें कभी दुख्ता नहीं।
अब किसी परायी को अपनाना नामुमकिन है
भूका होकर भी शेर कभी घास को छूता नहीं।
मेरी ख़ुशी तेरे नाम पे दर्ज कर दिया हूँ , अब
एक भी रात नहीं, जब मैं तन्हा रोता नहीं।
रुत बदल सकती है, पर रूह ज़िद्दी है
दिल आशना है, बदलने वाला जूता नहीं।
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