तुझे सोचा तो धड़कनों में बसा — अगर तू होती नज़्म।
मेरा हर साज़ बनता सदा — अगर तू होती नज़्म।
तेरी तस्वीर में दिखता जतन, दिल तेरा माँगे गुन।
तेरी हर धुन में खोता सदा — अगर तू होती नज़्म।
मैं शहर-शहर तेरा नाम लिए फिरता हूँ सुन।
हर इक महफ़िल में गूँजता सदा — अगर तू होती नज़्म।
मैं हर राही से पूछूँ, तेरा कोई पता धन।
मुझे मिल जाए तेरा पता — अगर तू होती नज़्म।
लबों पे तेरी धुन हो, हो जुबाँ पे तेरा मन।
मेरे हर लफ़्ज़ में रहता सदा — अगर तू होती नज़्म।
"मनन" कहता है, बस तुझ में ही है मेरा हर एक तन।
तेरी हर सांस में जीता सदा — अगर तू होती नज़्म।
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