Tuesday, November 12, 2013

नामुमकिन है


अब तन्हाई में मुस्कुराना तो नामुमकिन है
अब यह राज़ सबसे छुपाना नामुमकिन है

तुम्हारी यादें रात की नींद को चुरा लेते हैं - मगर
सोते सोते जाग्रण करना बिलकुल नामुमकिन है

यह मुहबत्त को दिल से हटाना नामुमकिन है
यह जज़्बात को अब पलकों से रोकना नामुमकिन है

तुम्हारी सुनहरी यादों के संगत मर भी जाऊं- मगर
तुम्हें भूलकर एक पल भी जीना नामुमकिन है

❣D❣

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