अब तन्हाई में मुस्कुराना तो नामुमकिन है
अब यह राज़ सबसे छुपाना नामुमकिन है
तुम्हारी यादें रात की नींद को चुरा लेते हैं - मगर
सोते सोते जाग्रण करना बिलकुल नामुमकिन है
यह मुहबत्त को दिल से हटाना नामुमकिन है
यह जज़्बात को अब पलकों से रोकना नामुमकिन है
तुम्हारी सुनहरी यादों के संगत मर भी जाऊं- मगर
तुम्हें भूलकर एक पल भी जीना नामुमकिन है
❣D❣
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