मेरी हाथ की लकीरें बड़ी बेवफा निकले हैं
जिंदगी की इस मोड पे दोखेबाज़ निकले हैं‖
जब लगा कि मेरी सारे तकलीफ़ें खतम हुई
नक़ाब को फाड कर नये लकीरें निखले हैं‖
पता नहीं था कि मेरी उलझे लखीरों को क्या करूं
सोच लिया था कि उन्हीं से बाकी जीवन सवर करूं‖
एक बीमारी के बाद फरिश्तों ने नया लकीरें दिला दी
एक पल के लिए लगा, इन लकीरों को लेके में क्या करूं‖
है कुछ आधे, है और कुछ अधूरी, इन लकीरों में
मेरी अरमानें और ख्वाइशें छुपे थे इन्ही लकीरों में‖
दुआ मांग रहा था उन्हें पूरी हो जाने की, मगर
खुदा ने नये लकीरें और नयी उम्मीदें दिला दी‖
अब वह कटी हुयी लकीर नयी उमंगों की निशानी है
वह टेढी लकीर अब लगता है की उन्नति की कहानी है‖
बस कितना भी नये लकीरें कींचने दो,
भरोसा है किआनेवाला पल ज़रूर सुहानी ही सुहानी है‖
❤D❤
No comments:
Post a Comment