पैमाने से ज़्यादा नफ़रत कर बैठा , कि
कभी पीना चाहूँ तो भी पी न सकूं |
किसीसे ज़्यादा प्यार कर बैठा , कि
जुदा जीना चाहूँ तो भी जी न सकूं |
अश्क़ों को ज़्यादा ही ज़ाया कर बैठा, कि
कभी तन्हा रोना चाहूँ तो भी रो न सकूं |
किसीको सीने में समाकर बैठा , कि
खुद को खोना चाहूँ तो भी खो न सकूं |
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