Thursday, January 14, 2021

तलब लग जाती है

मेरे ख़यालों में वह अक्सर आती है। 

जाने इतनी ख़ुशियाँ कहाँ से लाती है।


नींद में मेरी पलकों में ढलती है , पर 

आखें खोलते ही वह भाग जाती है।


इस दिल में  रौनक़ अब क़ायम है 

हमेशा उम्मीद के दिये जो जलाती है।


जब भी ज़िक्र होती है सुकून का 

तेरी बाहों की तलब लग जाती है।


 तलब लगना - craving



  

 

 

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