Tuesday, March 9, 2021

अपना बना दूंगा

 बस आँखों से इशारा कर दो, साया बनके साथ आ जाऊंगा। 

जो मन मांगे बोलो, चाँद को भी हाथ में ला दूंगा। 

तुमसे मिलने के बाद लफ़्ज़ों का लिफ़ाफ़ा बंद हो गया है,

अब पैग़ाम-ए-दिल फ़क़त धड़कनों से सुना दूंगा । 


उम्मीदें सैक़डों आँखों  में ही सजाते आया हूँ - आओ,

तुम्हें  दिल की गहराईयों में बिठाकर खूब सजा दूंगा ।


आजकल दुआ मांगने का ठीक तरीक़ा भी भूल गया हूँ,

रूठ जाएंगे खुदा भी मुझसे , हर दुआ में तुम्ही को मांगूंगा।


अफ़सोस है की मेरा तक़दीर मेरे साथ नहीं, वर्ना 

तुम्हें ज़िंदगी-भर के लिए अपना बना दूंगा ! 


अब अरमानों का धागा काफी लंबा हो गया है,

अब उससे हम दोनों की एक अलग दुनिया बुना लूंगा!





 


 

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