Saturday, September 24, 2022

जय हिन्द!

 जाने कौन रह गया है भीगने से शहर में 

जिसके लिए लौटती है रह रहकर बारिश फिर से।


हिन्दुस्तान का ज़माना आया है दुबारा , यारों 

आसमान खोलकर बता रहा है गर्दिश फिर से।


कल के ख़्वाबों में आज को खोना नहीं है  

आओ लपेट लें इस मौका-ए-गुंजाइश फिर से।


वक़्त की लहरें मिटा दी हैं साहिल में पहचान, देश की 

अब क़दमों के निशाँ छोड़ने की है गुज़ारिश फिर से।    

जय हिन्द!



கீத சக்கர

கீத சக்கரச் சவுக்கருளியெம் குருகுகாப் பெருமானை சீத நல்பட நாமமலர்கழல் தொழுதெழு பண்ணுமே! கீதமருந்தின் அன்பளித்திடு கீர்த்திச் செம்மையே ஏதுமில்...