अबकी होली है, यहां रंगों का रास है।
पिचकारी के बरस में मन उल्लास है।
गुलिस्ताँ की तलाश मैं कभी नहीं करता -
तेरी खुशबू सदा जो दिल के पास है।
तेरी रसीले होंठों से जाम पिया था मैंने
फिर भी मेरी होंठों में क्यूँ प्यास है।
आओ, मेरी ज़िन्दगी में रंग भर दो- बस,
यही इक आशिकी का छोटा आस है।
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