चाँदनी रातों में वो निशान बोलते हैं,
हनुमान के रहम के अरमान बोलते हैं।
राहें कठिन थीं मगर हौंसला दिखाया,
दिल के दरमियाँ राम का नाम बोलते हैं।
भटकते जंगलों में भी जो मुस्कुराए,
तपस्या के हर राज़ बयान बोलते हैं।
गंगा किनारे शिकारी जब दिखा मुझे,
कौन है ये सवाल के तूफ़ान बोलते हैं।
तुम्हारा भाई मेरा भी है भाई कहकर,
दिल में छुपे अरमान बयान बोलते हैं।
एक काग था जिसने मेरी पीठ छुई थी,
ताक पर रख दिए उस निशान बोलते हैं।
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