Saturday, November 14, 2015

ग़म-ए-दिल

नैनों से ग़म-ए-दिल सुनाया न करो
आँखों में नमी नहीं , और रुलाया न करो।

उल्फत की राह में कांटें भर पड़े हैं
बहुत हो चुकी है, और सताया न करो।

अश्कों का दामन अब बनाया न करो
फरिशतें लापता हैं, अब बुलाया न करो।

दिल में कितने भी तूफ़ान क्यूँ  न उठें
दिल की बात हर शख्स को बताया न करो।

ग़ुज़रे हुए लम्हों को याद लाया न करो
आंसुओं का नमक ज़्यादा खाया न करो।

गली में तेज़ाब लेकर लोग घूमते हैं
ज़ख़्मी दिल किसी को दिखाया न करो।

❤D❤


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