ज़िन्दगी का हर पन्ना ख़्वाब निकला
ग़म भरा अफ़साने का किताब निकला
सोचा था वक़्त ग़म का मरहम बनेगा -पर
जीवन का हर मोढ़ खराब निकला
सुकून को ढूंढते मैं यूँ भटक गया था,
सुकून को ढूंढते मैं यूँ भटक गया था,
तालाब नज़र आया, पर सराब निकला
दर्द का पैमाना काफी दिलकश ज़रूर है
बारिश का हर बूँद ग़म का शराब निकला
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