Friday, June 28, 2019

वह दिन सब अच्छे थे



सदियों पुराने घरों के
दीवारें सब कच्चे थे
पर बेशक, अंदर के
रिश्ते सब सच्चे थे
कितने भी बदर चाहे
हम क्यों न देखे हो
बुज़ुर्गों के सामने
हमेशा सब बच्चे थे

दिन भर मौज मनाके घर
लौटे रेहम की तलाश में
दादी की गोदी मिली
वह गोदी नहीं, गच्चे थे

हाथ में पैसा नहीं था , पर
ख़ुशी की कमी नहीं थी
आज याद करता हूँ ,गुज़रे हुए
वह दिन सब अच्छे थे


 

No comments:

The World Series

I don't know how many of you had watched the World Series match last night, between KKR and King's Punjab. I did, fully, to the last...