Saturday, July 18, 2020

मेहकी शायरी

एक आरज़ी झलक में लगता है, तुम सुनहरी हो। 
पर दिल की गहराईयों में इश्क़ की चिंगारी हो। 

मेरी क़ुरबत तुहें उतना ही सुकून देगी, जितना
सर्दी में तेरा ठंडा बदन पर मुलायम सँवरी हो।

उसको सुर्खी लगाने की अब क्या ज़रुरत है
जिसकी होटें पहले ही से मद भरी हो।

तेरी रंग-ओ-रूप को लेकर तुम मायूस क्यूँ हो
नज़रिया अगर ठीक़ हो, तो तुम वाक़ी सुंदरी हो।

पहाड़ों को पार कर दी, अब हमवार रास्ता सामने है
दुआ करता हूँ, तेरी ज़िन्दगी हमेशा रस भरी हो।

उलझन में हूँ, इस शनासाई का क्या नाम दूँ , पर
इस वीरान दिल में तुम हमेशा एक मेहकी शायरी हो।

Dilip

सँवरी = sweater



No comments:

The World Series

I don't know how many of you had watched the World Series match last night, between KKR and King's Punjab. I did, fully, to the last...