Sunday, July 28, 2024

दरिया-ए-इश्क़

तेरे ख़्वाबों के मैखाने से जी भरके हम पिये जाते हैं।

दिल के सवालों के जवाब तेरी आँखों से लिये जाते हैं।

तेरे होंठों की नरमी में हम हर रात खोये जाते हैं।

भीगा बदन की खुशबू में हम साँसों को पिये जाते हैं।


कठोर दिनों को हम सह लेते हैं रातों की इंतज़ार में 

तेरे जिस्म की जन्नत में हम हर बार जिये जाते हैं।


फूलों सी हाथों से हमें सजाने की कोई ज़रुरत नहीं 

तेरे बिस्तर की रौनक में हम हर रात सजे जाते हैं।


गर्मी का मौसम हमें कुछ बिगड़ नहीं पाता , क्यूँ कि 

प्यार की बारिश में हम दिन ओ दिन भीगते जाते हैं।


बाहों की गर्मी तेरी, न जाने क्या जादू किया है 

इस दरिया-ए-इश्क़  में हम हर लहर पे बहे जाते हैं।


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