Saturday, April 12, 2025

बेख़ुदी का ज़माना

 

मैख़ाने में यूँ घुसा तो मेरे सामने पैमाना आ गया

साक़ी के इक इशारे से बेख़ुदी का ज़माना आ गया। 


सीने में दबी चिंगारी जब सांसों में धड़की बनकर

तेरी नज़र के जादू से जलता हुआ परवाना आ गया। 


बरसों की ख़ामोशी जब भी गूँगी सदा में ढलती थी

तेरी सदा के नक़्शों से फिर कोई अफ़साना आ गया। 


सूनी डगर पे जब तेरी यादों ने दीप जलाए थे

वीरान दिल की चौखट पर फिर कोई बेगाना आ गया। 


बिखरे थे ख़्वाब रेतों पर, बादल भी थे बे-रंग वहाँ

तेरी नमी के छूने से भीगा हुआ तराना आ गया। 


दर्द के गर्दिशी लम्हों में इक रौशनी सी जाग उठी

तेरे उजाले के संग फिर जीने का बहाना आ गया। 


"मनन" ने जब भी चाहा था तनहाई से गुफ़्तगू करना

लब थरथराए, अश्क बहे, फिर तेरा फ़साना आ गया। 


பால அனுமன்

 பொழுதின் விளக்கென பாய்ந்தான் சிரித்து,

பழமென ஞாயிறு பார்த்தான் விரைந்து,

பரந்த விண்ணில் பறந்தான் சிறிது,

பயந்த தேவர்கள் வானில் அழைத்தார்!


காற்றை நிறுத்தி கணங்கள் வாட,

கண்ணீர் பொழிந்தது பூமி கவிந்தது,

தேவர் திரண்டு செருப்பொடு வந்து,

தெய்விக புண்ணியம் தந்தனர் அன்றே!


முப்பொருள் வேந்தர் முதுகரை தந்து,

முனிவர் அருளின் முழுவதும் கொடுத்து,

விழிகள் மணிமுடி சூட்டினர் அன்று,

வியப்பொலி வீசின சோலையில் சத்தம்!


சுடரைக் கடந்த சுகபதி ஆனான்,

சுகந்த ராமனை தோழனாகக் கொண்டு,

பதியில் நடந்தான் பவழ மழையில்,

பரம பாக்கியம் பரந்தது நாட்டில்!

बाल-हनुमान की उड़ान

 

भोर धरा पर चमका रवि, बालक ने फल जान लिया।

उछल पड़ा आकाश चढ़ा, सूरज को सम्मान लिया॥

देव सभा में हलचल मची, इन्द्र ने वज्र संधान किया।

बालक गिरा धरा की ओर, व्योम ने क्रोध प्रकट किया॥१॥


वायुदेव ने वायु रोकी, सृष्टि सभी मूक हो गई।

पीड़ा से व्याकुल जग सारा, धरा भी धूसर हो गई॥

देवताओं ने मिलकर तब, बालक को वरदान दिया।

अजर-अमर बल, बुद्धि विभा, जीवन नव संज्ञान दिया॥२॥


ब्रह्मा ने रक्षा का वर, शिव ने दिया अजेय तन।

इन्द्र ने वचन दिया पुनः, वज्र न छू पाए अब तन॥

वरदानों से दमक उठा, हनुमत का निर्मल मन।

चेतन होकर फिर बढ़ा, सेवा का नव उत्सव बन॥३॥


सूर्य न खाया, लक्ष्य बनाया, प्रेम-पथ का अनुचर।

रामनाम में लीन हुआ, बनकर भक्ति का सागर॥

बाल-लीला यह प्रेरणा, जीवन में दीप जलाए।

हनुमत जय का यह संदेश, हर उर में प्रीति जगाए॥४॥

Hanuman- a Classical poem

 आकाश बिच चमक्यो रवि, फल सम मोह भयो।

लघु तनु ले उडि चला अम्बर, बालक भूख लयो॥

गगन मार्ग जब बढ़्यो अधिक, देवलोक डोल गयो।
इन्द्र बज्र चलाय ज्यों, बाल हनू धरातल गयो॥१॥

हनुमत गिर्यो भूमिपर, वायुदेव क्रुद्ध भए।
जीवजगत सब व्याकुल, प्राणवायु च्युत भए॥
संकट देख सकल सुरवर, प्रेमसिन्धु उमड़ गयो।
आशीष देय अमोल वर, तेज अनंत भर गयो॥२॥

ब्रह्मा दीन्ही शस्त्र रक्षा, शिव दीन्ह अजरता।
इन्द्र कह्यो "न मारे बज्र", दिये वर अपारता॥
वरदानों से दीप्त भयो, नाना शक्ति निहित गयो।
बाल-हनू जागे पुनि, सुरलोक हर्षित भयो॥३॥

लघु ह्रदय त्यागि, बृहत् भक्ति-मार्ग की ओर चला।
रघुनायक संग करि सेवक, जग में कीर्ति भला॥
बाल्य लीला यह विमल कथा, श्रद्धा से गाई जयो।
जय जय श्री हनुमंत वीर, सकल लोक में सुख भयो॥४॥

हनुमत्स्तवनम्

 भक्त्या रामपदं सदा व्रजति यो धैर्यसमन्वितः।

शक्त्या शैलमुधार्य लीलयति यो लक्ष्मणहितम्॥१॥


मानं न विमृशति स्वपराक्रमसङ्कटितः सदा।

ब्रह्मचारी महातपो निखिलं तेज उपाश्रयः॥२॥


बुद्ध्या भाति विशेषतः सुरमाणिक्यदीपवत्।

रूपैः सानुपमैरिह संगच्छति लीलया सदा॥३॥


चिरंजीवी शिवप्रियमङ्गलमूर्तिर्विलोक्यते।

गीतं वाद्यविनोदिनं रघुपतिप्रीतिकारकम्॥४॥


वेदैः संहितया तथा प्रणयति शब्दानुत्तमान्।

वेगेनापि नभः पतन् दूतकर्मणि युज्यते॥५॥


भीतानां भयहारकः सुतरां साहसालयः।

मायाविशारदः सदा लङ्कायां विचरत्यपि॥६॥


औषधिप्रभवो महान् लघुकृतं जीवनं ददौ।

बाल्ये निर्मलचेतनः क्रीडति स्वच्छलोचनः॥७॥


जयत्येष कपिश्रेष्ठः रामदूतः प्रियंवदः।

श्रेयः स्यान्नः सदा मुहुर्मङ्गलं भक्तवत्सलः॥८॥


बेख़ुदी का ज़माना

  मैख़ाने में यूँ घुसा तो मेरे सामने पैमाना आ गया साक़ी के इक इशारे से बेख़ुदी का ज़माना आ गया।  सीने में दबी चिंगारी जब सांसों में धड़की बन...