नज़रों से नज़रें मिले, और बातें बन गये।
यूँ गुफ्तगू करते गये, और रातें बन गये।
आजकल फासलों से शिकायत नहीं
दूरियां जो बदलकर मुहब्बतें बन गये।
इश्क़ में भीगे हुए यह लम्हें गवाह हैं
दिल की आहटें भी मिन्नतें बन गये।
दर्द-ए-जुदाई और सहन नहीं होता, सनम
हर रात की मिलान भी ज़रूरतें बन गये।
कभी न रुकी , आपस में यह हलचल
देखते देखते सांसें भी हसरतें बन गये।
Dilip
यूँ गुफ्तगू करते गये, और रातें बन गये।
आजकल फासलों से शिकायत नहीं
दूरियां जो बदलकर मुहब्बतें बन गये।
इश्क़ में भीगे हुए यह लम्हें गवाह हैं
दिल की आहटें भी मिन्नतें बन गये।
दर्द-ए-जुदाई और सहन नहीं होता, सनम
हर रात की मिलान भी ज़रूरतें बन गये।
कभी न रुकी , आपस में यह हलचल
देखते देखते सांसें भी हसरतें बन गये।
Dilip
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