Friday, June 26, 2020

अख़लाक़ नहीं

यह नसीब की बात है, कोई इत्तेफाक़ नहीं।
दिल की पुकार है सनम, कुछ मज़ाक नहीं।

मेरी ऐतमाद शक्सियत से मत हिचकिचाना
सामने सच्चा आशिक़ खड़ा है, गुस्ताख़ नहीं।

तेरे सामने से ही तेरा दिल चुरा ले गया था 
चुप चुप के करूँ, इतना भी चालाक नहीं।

जब भी प्यार से शक़-ओ-शुबह लगता है 
मेरे हाथ थाम लो, इतना भी खतरनाक नहीं।

रस्म-ए-दुनियाँ को थोड़ो, मेरी बाहों में आओ 
प्यार से हटना कायरता है, अख़लाक़ नहीं।

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