Tuesday, September 15, 2020

तस्वीर-ए-खंजर

अपनी अरमान को तस्वीर-ए-खंजर बना दी।  

इस नक़्श में एक खूबसूरत मंज़र बना दी।

ख़ैर, अपना आशिक़ के साथ नाचते नाचते 

न जाने, कितने दिलों को बंजर बना दी।  


इस अँधेरे दिल में अपनी रंगों के मुनव्वर से 

एक हसीं रात के पिछले पहर बना दी। 


इश्क़ के सफर में अब अंधेरा नहीं डाँटेगा 

दिये जलाकर जो एक नया डगर बना दी। 


इन रंगों से कई आगाह होने लगा है मुझको  

उन्ही फामियों को इश्क़ का ख़बर बना दी। 


No comments:

நரசிம்மா, வரு, பரம பிதா!

நரசிம்மா, வரு, பரம பிதா! சுத்த சிந்தை சிறப்பு நிதா! இசைதருமோ, உனது கடைசின் போதா? இருள் பொலிக்கும் எங்கள் விருட்ச நீயே! அறிவொளி ஈசனே, ஆதிபுரு...