Saturday, January 13, 2024

लोहड़ी आई


खेत खलिहान में  लोहड़ी आई। 

ढ़ोल उठाओ, भांगड़ा नाचो, भाई। 


सूर्य देव को लाख धंयवाद कहने दो। 

जो लम्बी रातों को छोटा कर देता है।

जो सरसों और गेहूँ भरा भरा दे करके 

सब का पेट को फिलहाल बड़ा कर देता है। 


रेवड़ी, तिल के लड्डू, गजक का मेला,

हर घर में मिठास  फैला डाले। 

आग जले धधक धधक के,

मन की सारी सर्दी जला डाले।


मुंडियां फेरीं, खुशियां मनाती हैं- खेत में 

पराली धन की निशानियां छोड़ता हैं।

रिश्तेदारों, दोस्तों का मेला,

लोहड़ी ख़ैर सबी को जोड़ता है।








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