Wednesday, June 1, 2022

कोई गुंजाइश नहीं

 कोशिश करता रहा हर रोज़, उस अम्बर तक पहुँचने की।  

पर मेरी पंखुरियों में इतना ही ताक़त है पेड़ के ऊपर पहुँचने की।

उड़ते उड़ते न जाने उस गगन तक चला जाऊँगा ज़रूरर  

 जहां कोई गुंजाइश नहीं , किसी का  खबर पहुँचने की। 

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