अपनी नसीब में मेरा नाम को मिला दो।
हाथ के लखीरों में मुझे भी बसा लदो।
इस बंजर दिल में प्यार की प्यास घोर है
अपनी होटों के गीली से उसे बरसा दो।
मुझे मत पूछा करो मायने-ए-वफ़ा
तजुर्बा नहीं, इश्क़ करना थोड़ा सिखा दो।
तेरे बिना यह ज़िंगदगी भी कोई ज़िन्दगी नहीं
अपनी तीर-ए-नज़र मुझपर तुरंत चला दो।
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