राम नाम के सहारे हर भय-भीत को निकाला दिया।
हे हनुमन! तूने अँधेरे मन में हमेशा उझाला दिया।
जो भी तुम पर आशा रखते उन्हें कभी निराश नहीं करते,
अंत में सीता मैया को तुम राम से मिला दिया।
बड़े से बड़े विरोधी को भी सबक सिखाते हो तुम,
रावण का अहंकार को लंका के साथ ही जला दिया।
हर संकट को पार कर पाता हूँ क्यूंकि, पंचमुखी,
तूने राम-स्मरण को मेरे सांस में मिला दिया !
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