तेरे बिना लम्हें भी
सदियाँ लगने लगे हैं।
पर तेरी अदाएं तो
रंग रलियां लगने लगे हैं ॥
तेरी अंगड़ाइयों को मेरे
पास ही रहने दो।
मेरे कट्टर दुश्मनें भी
परियां लगने लगे हैं ॥
तक़लीफ़ें जब मेरी
नींद को उड़ाने लगे हैं ।
वह मधभरी आँखें नींद की
गोलियां लगने लगे हैं ॥
तेरी साथियों से बचके
मेरे पास आ जाओ ।
वह मेरी प्यार के रस्ते में
गड्डियां लगने लगे हैं ॥
जो बोल नहीं पाते वह
इशारों से बता दो ।
वह मेरे दरवाज़े-ए-प्यार के
हंडियां लगने लगे है॥
बिक्रे हुए तेरी ज़ुल्फ़ों से
मैं मसहूर हुआ हूँ ।
वह मुझे प्यार से बांदनेवाले
डोरियां लगने लगे हैं ॥
सदियाँ लगने लगे हैं।
पर तेरी अदाएं तो
रंग रलियां लगने लगे हैं ॥
तेरी अंगड़ाइयों को मेरे
पास ही रहने दो।
मेरे कट्टर दुश्मनें भी
परियां लगने लगे हैं ॥
तक़लीफ़ें जब मेरी
नींद को उड़ाने लगे हैं ।
वह मधभरी आँखें नींद की
गोलियां लगने लगे हैं ॥
तेरी साथियों से बचके
मेरे पास आ जाओ ।
वह मेरी प्यार के रस्ते में
गड्डियां लगने लगे हैं ॥
जो बोल नहीं पाते वह
इशारों से बता दो ।
वह मेरे दरवाज़े-ए-प्यार के
हंडियां लगने लगे है॥
बिक्रे हुए तेरी ज़ुल्फ़ों से
मैं मसहूर हुआ हूँ ।
वह मुझे प्यार से बांदनेवाले
डोरियां लगने लगे हैं ॥
No comments:
Post a Comment