मुझे पत्थर के सनम समझती हो
मगर मेरा दिल पत्थर नहीं‖
बस अशकों में तैरते आया हूँ
पलकों में अब नमी नहीं‖
मोहल्ला मुझे मतवाला समजता है
मगर मैं मतवाला हूँ नहीं‖
बस तेरी ख्यालों का नशा छडा है
कम्बख्त, उतरता ही नहीं‖
दोस्त मुझे आवारा कहते हैं
मगर मैं आवारा हूँ नहीं‖
बस तुम्हारी याद आती तो
घर अच्छा लगता नहीं‖
अक्सर खुदको लगता है परेशान हूँ
मगर परेशानी नींद को छीना नहीं‖
बस सेज सूनी है तुम्हारे बिना
नींद की कोई गुन्जायिश नहीं‖
❤D❤
मगर मेरा दिल पत्थर नहीं‖
बस अशकों में तैरते आया हूँ
पलकों में अब नमी नहीं‖
मोहल्ला मुझे मतवाला समजता है
मगर मैं मतवाला हूँ नहीं‖
बस तेरी ख्यालों का नशा छडा है
कम्बख्त, उतरता ही नहीं‖
दोस्त मुझे आवारा कहते हैं
मगर मैं आवारा हूँ नहीं‖
बस तुम्हारी याद आती तो
घर अच्छा लगता नहीं‖
अक्सर खुदको लगता है परेशान हूँ
मगर परेशानी नींद को छीना नहीं‖
बस सेज सूनी है तुम्हारे बिना
नींद की कोई गुन्जायिश नहीं‖
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