मेरी बर्बादी की रवानी को तुम रवानी मानो।
बहता खून को खून नहीं, खैर, पानी मानो।
इस ज़ख़्मी दिल में अब भी तुम्हारी यादें क़ायम हैं
चाहे इसको मेरी ग़ैर-मुतग़य्यर नादानी मानो।
चाँद में गहरा दाग आज भी साफ़ ज़ाहिर है,
इसको भी इश्क़ की ज़ख़्मी दीवानी मानो।
तेरी इंतज़ार में एक और दिन कम हुआ तो क्या,
तुम बेफिक्र रहो, और इसे बहती जवानी मानो।
ग़ैर-मुतग़य्यर - unwavering
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