कोई जादू से मेरे चेहरे में भोलापन लौट आए।
बीत गये कल से अपना बचपन लौट आए।
वक़्त ने आइना-ए-मस्ती को तोड़ दिया है
उन बिक्रे टुकड़ों से फिर वही दर्पण लौट आए।
उन काग़ज़ की कश्तियों में अर्मानें भी चढ़कर चले गये
काश! मेरी उम्मीद के साहिल में वह फ़ौरन लौट आए ।
जेब में बसे तितलियाँ , और मन में बसे उनकी रंगीन पंखें
बस! वही ख़ुशी की तितलियाँ मेरी आँगन लौट आए।
आजकल ख़ुशी के मौके पर भी खुलकर हंसी नहीं आती
कुछ करो, ऐ ख़ुदा! बेवजह मुस्कुराने का वह मन लौट आए।
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