ज़िन्दगी मुश्किलों का भण्डार है यह विश्वास नहीं होता
वर न मरने के बाद जलने तक का एहसास नहीं होता।
ग़म के पत्थर गिरे तो भी हँसने का इक आभास नहीं होता
दिल के ज़ख़्मों के पीछे ही हरदम तो निराश नहीं होता।
राह काँटों से भरी है मगर फूल भी खिलते जाते हैं
हर सफ़र में अंधेरे हों तब भी वो बेख़ास नहीं होता।
हँस के जीना ही असल में जीवन का परिहास है प्यारे
सिर्फ़ रो लेने से कोई दिल का विकास नहीं होता।
आसमाँ भी कभी ग़म बरसाए तो धूप भी फैलाती है
हर घड़ी रात उतरे तो उसका सन्यास नहीं होता।
"मनन" कहता है मुस्कुराओ, ग़म को भी साथ लेकर चलना
क्योंकि दुनिया में दुख के सिवा ही तो उपहास नहीं होता।
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