चाँदनी रात में आँसू बहते हुए,
सजनी तेरा नाम लब पे कहते हुए।
साँस रुक-रुक के पुकारे तुझको,
दिल धड़कता रहा, जाँ से रहते हुए।
फूल सूखे हैं मुरझाए बाग़ों में,
तेरे क़दमों की आहट सहते हुए।
तेरे जाने से सन्नाटा बोल उठा,
सुरमई शाम ढली थी ढलते हुए।
"मनन" खो गया है तुझमें ही बेख़ुद,
ज़िन्दगी कट रही है भटकते हुए।
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