आसमान में तारों की महफ़िल जारी है- पर
उसकी चमत्कार का एहसास ही नहीं हुआ
सूरज की किरणें दुनिया को जगा रही है-पर
तेरी ख़्वाबों से जागने का प्रयास ही नहीं हुआ
मयूर की नाच भगीचे में सब को तड़पा रही है-पर
मन तो तेरी अंगडाई की जूनून से मुक्त नहीं हुआ
मेरे मन में सिर्फ तुम ही तुम समा हुई हो
अब और किसी की महसूस ही नहीं हुआ
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