अन्धों के बीच में हाथी खडा है तो
उसकी पहचान पे बहस ही क्यों?
जिस खुदा को किसी ने देखा ही नहीं तो
मज़ब की बातें लेकर लड़ना भी क्यों?
जिस जन्नत तक किसी ने गया ही नहीं तो
उसकी रास्ते की चर्चों पर मरवाना भी क्यों?
उसकी पहचान पे बहस ही क्यों?
जिस खुदा को किसी ने देखा ही नहीं तो
मज़ब की बातें लेकर लड़ना भी क्यों?
जिस जन्नत तक किसी ने गया ही नहीं तो
उसकी रास्ते की चर्चों पर मरवाना भी क्यों?
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