मेरे बदन का हिस्सा बनके
मेरी धारण करती हो
तुम मेरी भूमि हो.
तुम्हारी यादें आँखों में
आंसू भर लेती हैं
तुम वाकी झील हो
मेरे चित्त में
चाहत कि आग लगाई हो
तुम मेरी शायिरी कि अग्नि हो
मेरे सांस बनके मेरे
रोम रोम में समा हो
तुम हवा का झोंका हो
मेरे ख़्वाबों में
बे-पायाँ रूप लेती हो
तुम सुचमुच ब्रह्माण्ड हो
जो भी तुम हो, पर
रब्बा कि कसम
मेरी पञ्च भूत हो!
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